Godavari Tambekar

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पहिली ते दहावी संपूर्ण अभ्यास

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रविवार, २९ मे, २०२२

हमारे पड़ोसी

                   हमारे पड़ोसी 



[ रूपरेखा (1) पड़ोसी का महत्त्व (2) हमारे चार पड़ोसी (3) पड़ोसी प्राध्यापक श्रीनाथ शर्मा (4) पड़ोसी देसाई साहब (5) पड़ोसी रामलाल जी (6) चौधे पड़ोसी श्रीमान मराठे (7) सभी सुख-दुख के साथी।] 


      सामाजिक जीवन में पड़ोसी का बहुत महत्त्व है। कहते हैं अच्छे पड़ोसी भाग्य से ही मिलते हैं। पड़ोसी अच्छे हो तो हमारा जीवन सुखमय हो जाता है, झगड़ालू हो तो हमारा जीवन दूभर हो जाता है। 

       पड़ोसियों के बारे में हम सचमुच भाग्यशाली हैं। हमारे चार पड़ोसी हैं। संयोग से चारों पड़ोसियों के साथ हमारे अच्छे संबंध हैं। हमारे सबसे नजदीकी पड़ोसी प्राध्यापक श्रीनाथ शर्मा हैं। शर्मा जी बहुत भले और सरल व्यक्ति है। छोटी बात की भी बढ़ा-चढ़ाकर बताना उनकी आदत है किसी बात की चर्चा छिड़ने पर वे उसे तिल का ताड़ बना देते हैं। कभी कभी समय बिताने के लिए मेरे दादा जो उन्हें बुला लेते हैं। शर्मा जी का बेटा मेरा मित्र है। हम दोनों एक ही विद्यालय में पढ़ते हैं। 

        हमारे दूसरे पड़ोसी रमणलाल देसाई हैं। ये कपड़े के व्यापारी हैं। उनके तीन बेटे और एक बेटी है। वैसे तो देसाई जो के घर के सभी लोग बहुत मिलनसार हैं, पर कभी-कभी किसी बात पर उनमें मतभेद हो जाता है, तो घर में संग्राम छिड़ जाता है। उस समय उनके घर से रोने-चिल्लाने और झगड़ने की आवाजें आने लगती है। पर अंत में रमणलाल की पत्नी बीच बचाव कर मामला सुलझा देती है। मगर रविवार या छुट्टी के दिन उसे हल्दी कूटने का बहुत शौक है। इससे हमारा आराम हराम हो जाता है। पर करें क्या, आखिर पड़ोसी जो ठहरे। 

        हमारे तीसरे पड़ोसी हैं, रामलाल सेठ वे सीधे-सादे और प्रेमी जीव हैं। उनकी दो पुत्रियाँ हैं। रामलाल जो स्ट्रॉल के बरतनों के बड़े व्यापारी हैं। हमारी इमारत के सभी लोग उन्हीं की दुकान से बरतन खरीदते हैं। वे इमारत के सभी लोगों को रियायती दर पर बरतन देते हैं। उनकी पत्नी लक्ष्मीबहन सचमुच लक्ष्मी का रूप हैं। 

         हमारे चौथे पड़ोसौ गणपतराव मराठे एक बैंक में क्लर्क हैं। ये संगीत के शौकीन हैं। छुट्टी के दिन ये तबला, हारमोनियम और सितार बजाने का अभ्यास करते हैं। मगर उनका यह संगीत प्रेम कभी-कभी हमारी नींद हराम कर देता है। 

       हमारे चारों पड़ोसी अलग अलग रुचि और स्वभाव के हैं। इसके बावजूद सब में बहुत मेल जोल और अपनापन है। त्योहारों के अवसर पर हम एक-दूसरे से मिलते-जुलते हैं। सुख-दुख में हम हमेशा एक दूसरे का साथ देते हैं। हमारी अनेकता में एकता के सुंदर दर्शन होते हैं।

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