दशहरा
दशहरे के त्योहार का अपना एक विशेष महत्त्व है। दशहरे के पहले नौ दिन तक नवरात्रि उत्सव मनाया जाता है। दमय दिन दशहरे का होता है। इसे ' विजयादशमी' भी कहते हैं। यह त्योहार आश्विन शुक्ल दशमी के दिन सारे देश में मनाया जाता है। दशहरा शरद ऋतु का पौराणिक पर्व है।
इसी दिन भगवान रामचंद्र जी ने लंका के राजा रावण पर विजय प्राप्त की थी। इस विजय की खुशी में हमारे देश में यह विजय-पर्व प्रति वर्ष मनाया जाता है। महाभारत की एक कथा के अनुसार पांडवों का अज्ञातवास इसी दिन पूरा हुआ था। अज्ञातवास में पांडवों ने अपने शस्त्र एक शमी वृक्ष पर रख दिए थे। दशहरे के दिन उन्होंने अपने ये शस्त्र शर्मा वृक्ष से उतारे थे। यह भी कहा जाता है कि इसी दिन राजा रघु ने कुबेर को परास्त कर भारी मात्रा में स्वर्ण प्राप्त किया था। यह सोना उन्होंने कौत्स ऋषि को दान कर दिया था।
दशहरे का त्योहार देश के सभी भागों में धूमधाम से मनाया जाता है। उत्तर भारत में यह त्योहार भगवान राम की विजय की याद में मनाया जाता है। इस अवसर पर रामलीलाओं का आयोजन किया जाता है। दस दिन तक चलने वाली रामलीला दशहरे के दिन समाप्त होती है। इसका समापन रावण, कुंभकर्ण तथा मेघनाद के पुतले जलाकर किया जाता है। बंगाल में दशहरे के दिन दुर्गा माता की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। गुजरात में नौ दिनों तक चलने वाले गरबा और रास के कार्यक्रम इसी दिन समाप्त होते हैं। मैसूर में दशहरे की सवारी देखने लायक होती है।
दशहरे का दिन बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन लोग अपने घरों, दुकानों एवं कार्यालयों के दरवाजों पर तोरण बाँधते हैं। व्यवसायी लोग दशहरे के दिन अपने औजारों एवं मशीनों की पूजा करते हैं। पुराने जमाने में इस दिन राजा महाराजा एवं क्षत्रिय अपने आयुधों की पूजा करते थे। दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन बहुत शुभ माना जाता है।
दशहरा विजय का पर्व है। इस पर्व से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हम जीवन में विजयी बनें तथा धर्म, न्याय, त्याग एवं मानवता की रक्षा करें।
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