Godavari Tambekar

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पहिली ते दहावी संपूर्ण अभ्यास

पहिली ते दहावी संपूर्ण अभ्यास
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रविवार, २९ मे, २०२२

यदि मैं पंछी बनूँ.....

                यदि मैं पंछी बनूँ..... 




[ रूपरेखा (1) प्रस्तावना  ( टिकट वाहन आदि की झंझट नहीं (4) प्राकृतिक सौंदर्य के दर्शन (5) दूर के मित्रों और रिश्तेदारों से मिलना (6) पीड़ितों की शीघ्र मदद (7) अनेक प्रकार की सुविधा ] 

      जब मैं अनंत आकाश में पक्षियों को मनचाही उड़ान भरते देखता हूँ तो मेरा दिल भी गगन विहार के लिए मचल पड़ता है । तब मैं सोचता हूँ- काश मेरे भी पंख हों और मैं भी पेछी बनूँ..... 

     सचमुच, यदि मुझे पंख मिलें, तो मैं भी आकाश में ऊँची-ऊँची उड़ानें भहँ उड़ने में पक्षियों से होड़ लगाऊँ। आकाश की नीलिमा को अपनी आँखों में भर लूँ। ऊँची उड़ानें भरते समय में बादलों को भी छूकर आगे बढ़ जाऊँ इंद्रधनुष के रंगों को मैं बहुत निकट से देखूं। मैं चाँद-सितारों तक पहुँचने का भी प्रयत्न करूँ। 

        आज यात्रा संबंधी कठिनाइयाँ बहुत बढ़ गई हैं। मेरे पंख हो, तो यात्रा करना मेरे बाएँ हाथ का खेल हो जाए न टिकट का झंझट और न आरक्षण का झंझट कोई तकलीफ न हो। रास्ते में नदी पहाड़ कोई भी मुझे रोक नहीं पाए। उड़ते-उड़ते थक जाऊँ तो किसी पेड़ पर बैठकर विश्राम कर लें। पेड़ पर फल हों, तो अपनी भूख शांत कर लूँ।           मुझे प्रकृति से बेहद लगाव है। यदि मेरे पंख हों, तो मैं धरती के स्वर्ग कश्मीर पहुँच जाऊँ। वहीं फूलों की घाटी में मनचाही सैर करूँ जब इच्छा हो तब गोवा के सुंदर बीच पर पहुंच जाऊँ कन्याकुमारी और आबू जा कर सूर्यास्त के मनोहर दृश्य देख आऊं। 

         मेरे कई मित्र बहुत दूर रहते हैं। वे मुझे अपने जन्मदिन की पार्टी में बुलाते हैं, पर दूर होने के कारण मेरे लिए जाना संभव नहीं होता। यदि मेरे पंख हो, तो उड़कर झट से उनके यहाँ पहुँच जाऊँ और उनके जन्मदिन की खुशी में शामिल हो जाऊँ बीमार मित्रों से मिलकर उनका हालचाल पूछ आऊँ दूर शहर में रहने वाली मेरी दीदी रक्षाबंधन के अवसर पर मुझे डाक द्वारा राखी भेजती है। मेरे पंख हों, तो मैं राखी के दिन उड़कर दीदी के पास पहुंच जाऊँ और उससे राखी बंधवा लूं। 

        उड़ने की शक्ति होने पर में दुर्घटनाओं में फैंसे लोगों को तत्काल सहायता करूँ बाढ़, भूकंप आदि प्राकृतिक प्रकोपों के समय उस स्थान पर पहुंचकर पीड़ित जनों की मदद करूं। मैं दवाएँ तथा अन्य उपकरण जल्दी से पहुंचाकर पीड़ित लोगों के दूर करने में योगदान हूँ। 

     इस प्रकार पंख होने पर मुझे बड़ी सुविधा रहती। कहीं आने-जाने में पैसों की जरूरत हो न पड़ती। मैं स्कूल भी उड़कर पहुंच जाता मी बाजार से सामान मँगाठी, तो उड़कर फौरन ले आता। 

      इसमें शक नहीं कि मेरे पंख कभी नहीं होंगे, परंतु पंख होने की कल्पना करने में भी कितना आनंद है।

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