Godavari Tambekar

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पहिली ते दहावी संपूर्ण अभ्यास

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रविवार, २९ मे, २०२२

बगीचे में दो घंटे

                 बगीचे में दो घंटे  



         मैं रोज सुबह जल्दी उठकर बगीचे में टहलने जाता हूँ। सबेरे का ठंडा-ठंडा पवन सेहत के लिए बहुत अच्छा है। कई लोग सबेरे बगीचे में टहलने जाते हैं। 

          इस रविवार को शाम को मैं अपने मित्र के साथ बगीचे में घूमने गया। शाम के समय बगौचे में शीतल, मंद और सुगंधित हवा चल रही थी। बगीचे में पहुँचते हो मेरा तन-मन पुलकित हो उठा। मखमल-सी मुलायम हरी घास बगीचे में रंगीन चादर को तरह फैली हुई थी। हम दोनों मित्र नर्म नर्म घास पर बैठ गए। पास के शीतल स्पर्श से हमारी तबीयत हरी हो गई। बगीचे में चमेली, जूही, गुलाब, मोगरा आदि के रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे। फूलों की खुशबू से वातावरण महक रहा था। पेड़ पौधों के पत्तों मर्मर ध्वनि कानों को बहुत प्रिय लग रही थी। संध्या के समय पक्षियों का मधुर कलरव मन को आनंद से भर रहा था। 

          कुछ देर हरी घास पर बैठने के बाद हम एक बड़े फौआरे के पास जाकर खड़े हो गए। फौआरे से पानी की बारीक धाराएँ निकल रही थी। ऊपर जाकर वे नन्हीं-नन्हीं बूंदों को झड़ों में बदल रही थीं फौआरे में बिजली के रंगबिरंगे चल्य लगे थे। फुहार में उनका रंगविरंगा प्रकाश आ रहा था। बगीचे के एक कोने में चार-पाँच बेचें थीं उन पर कुछ बड़े-बूढ़े लोग बैठे थे। एक तरफ कुछ बच्चे खेल रहे थे। झूलों पर झूलने के लिए बच्चों में होड़-सी लगी हुई थी। कुछ बच्चे सरकन पट्टी पर फिसलने का मजा ले रहे थे।

        बगीचे के बाहर भेल-पूरी, पानी-पूरी, पकौड़ी, सैंडविच, वडा पाव, चायनीज आदि के ठेले लगे हुए थे। वहाँ कुछ लोग अपने परिवार के साथ खाने-पीने में व्यस्त थे। पास ही एक गुब्बारेवाला रंगबिरंगे गुब्बारे बेच रहा था। मैंने एक बड़ा सा रंगीन गुब्बारा अपने छोटे भाई के लिए खरीद लिया। 

        तभी वहाँ कुछ और मित्रों से हमारी भेंट हो गई। हममें से कुछ मित्रों ने लतीफे सुनाए। एक मित्र ने गीत गाया। सभी को बहुत मजा आया। हृदय में भरपूर खुशियाँ लेकर हम सब घर की ओर लौट पड़े।

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