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पहिली ते दहावी संपूर्ण अभ्यास

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रविवार, २९ मे, २०२२

प्रदर्शनी में दो घंटे

            प्रदर्शनी में दो घंटे



        प्रदर्शनों में मनोरंजन के साथ-साथ नई-नई वस्तुओं, विविध प्रकार की कलाकृतियों और औद्योगिक प्रगति आदि को जानकारी मिलती है। यह जानकारी प्रदर्शनियों में जाने से दो-चार घंटे में ही एकसाथ मिल जाती है। 

        मेरे शहर में कई दिनों से ‘ भारत– 2020' प्रदर्शनी लगी हुई थी। गत रविवार की शाम को मैं अपने मित्रों के साथ यह प्रदर्शनी देखने गया था। प्रदर्शनी इतनी शानदार थी कि उसकी चहल पहल दूर से ही मालूम होती थी। प्रदर्शनी के भव्य और विशाल प्रवेश द्वार की शोभा बहुत ही आकर्षक थी। दूद्वार को सुंदर चित्रों एवं बिजली के जलने-बुझने वाले विविध रंग के बच्चों से सजाया गया था। भारत माता का चित्र तो बहुत ही शानदार था। प्रदर्शनी के बाहर टिकट के लिए कतारें लगी हुई थी। कुछ देर कतार में खड़े रहने के बाद हमें टिकट मिला और हम प्रदर्शनी देखने अंदर गए।       

       प्रदर्शनी के भीतर देश के विभिन्न प्रांतों के सजे हुए आकर्षक मंडप थे 'महाराष्ट्र दर्शन' में नमूनों, नक्शों और चित्रों दद्वारा महाराष्ट्र के विकास को झाँकी दिखाई गई थी। आदिवासियों से संबंधित कलाकृतियों के प्रति दर्शकों का विशेष आकर्षण था। ' मनोहर गुजरात ' में गुजरात की आधुनिक प्रगति के दृश्य दर्शाए गए थे। 'केरल मंडप' में केरल राज्य की प्राकृतिक शोभा बड़ी आकर्षक लग रही थी। हमने राजस्थान, उत्तर प्रदेश, असम व आंध्र प्रदेश आदि प्रांतों के खूबसूरत मंडप भी देखें। जम्मू कश्मीर के मंडप में पृथ्वी के स्वर्ग' की सुंदर झलक मिलती थी। इस मंडप में कश्मीरी टोपियाँ, ऊनी कंबल व शाल आदि वस्तुएँ बिक रही थीं। मैंने एक सुंदर टोपी और मेरे मित्र ने एक शाल खरीदा। 

       प्रदर्शनी में देश की औद्योगिक प्रगति के बारे में भी बताया गया था। नवीनतम रेल इंजनों के प्रतिरूप, नई कारें, नवीनतम मशीनें, विमानों के नए मॉडल आदि वस्तुएँ देखकर हम बहुत प्रभावित हुए। हमारे देश ने कितना विकास कर लिया है। खेती के कार्यों में इस्तेमाल होने वाले नए-नए औज़ार और विविध मोबाइल फोन भी हमने देखे। यह सब देखकर हमें बहुत खुशी हुई।  

       प्रदर्शनी में मनोरंजन का भी अच्छा प्रबंध था। चरखी, मौत का कुआँ, जादू के खेल मेरी-गो-राउंड तथा सिनेमाघर में बच्चों के साथ बड़ों और बुज़ुगों की भीड़ लगी हुई थी। प्रदर्शनी में खाने-पीने के कुछ स्टाल भी थे। चलते-चलते हम थक गए थे। हमने एक स्टाल पर कुछ नाश्ता किया और घर लौट पड़े।

        इस प्रकार हमने दो घंटे तक प्रदर्शनी में धूम-फिरकर बहुत-सी जानकारी प्राप्त की। विशेषकर देश में हुई प्रगति के संबंध में नई-नई जानकारी प्राप्त कर हमें बहुत खुशी हुई।

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