मेरा गाँव
रूपरेखा (1) गाँव का परिचय (2) गाँव का वर्णन (3) गाँव के लोग (4) एक आदर्श गाँव (5) गाँव के प्रति प्रेम । ]
मेरा गाँव गोदावरी नदी के तट पर बसा हुआ है। मेरे गाँव के चारों ओर रमणीय पहाड़ियाँ हैं। खेतों को हरियाली इसकी शोभा बढ़ाती है। मेरे गाँव का नाम रामपुर है।
आज़ादी के बाद मेरे गाँव ने बहुत तरक्की की है। गाँव के दक्षिणी हिस्से में पंचायत-घर है। गाँव के छोटे-मोटे झगड़ों का निपटारा यहीं होता है। पंचायत घर के पास ही गाँव का पुस्तकालय और वाचनालय है। इस वाचनालय में पत्रिकाएँ और अखबार मँगाए जाते हैं।
मेरे गाँव में एक बहुत पुराना और प्रसिद्ध राम मंदिर है। इसी मंदिर के कारण मेरे गाँव का नाम रामपुर पड़ा है। सुबह-शाम आरती के समय मंदिर में बहुत भीड़ होती है। रामनवमी के अवसर पर यहाँ एक मेला लगता है। मेरे गाँव की आबादी लगभग दो हजार है। गाँव के ज्यादातर निवासी किसान हैं। उनके अलावा गाँव में लुहार, कुम्हार, बढ़ई, दर्जी, धोबी, नाई आदि भी रहते हैं। गाँव के लोग बहुत सीधे-सादे और मेहनती हैं। वे आज भी पुराने रीति-रिवाजों को मानते हैं। फिर भी उनके विचार प्रगतिशील हैं। उन्होंने खेती के नए तरीके अपना लिए हैं। गाँव में बिजली आ जाने से कई लघु-उद्योग भी शुरू हो गए हैं।
रामपुर एक आदर्श गाँव है। गाँव में एक प्राथमिक शाला और एक हाईस्कूल है। हाईस्कूल में पढ़ाई के अलावा बागवानी, कताई, बुनाई तथा लघु उद्योगों की शिक्षा भी दी जाती है। गाँव में एक छोटा-सा अस्पताल भी है। वहाँ गाँव के मरीजों का किफायती दरों से इलाज किया जाता है। गाँव में कुछ छोटी-मोटी दुकानें हैं। हर रविवार को यहाँ बड़ा बाजार लगता है। इस बाजार में साग-सब्जी और फलों के अलावा कपड़ा तथा घरेलू उपयोग की अनेक चीजें बिकने के लिए आती हैं। गाँव में पशु-धन भी पर्याप्त है। कुछ सब्जियाँ तथा दूध सहकारी समिति द्वारा शहरों में बिक्री के लिए भेजा जाता है। इससे गाँववालों को अच्छी आमदनी हो जाती है। गाँव में वृक्षारोपण समारोह के समय बहुत नए पेड़ लगाए जाते हैं। करगिल के युद्ध में गाँव के एक जवान की शहादत से मेरे गाँव का गौरव बढ़ गया है। सचमुच, मुझे अपने गाँव पर गर्व है। मैं अपने गाँव के विकास में अपना योगदान देता रहूँगा।
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