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पहिली ते दहावी संपूर्ण अभ्यास

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रविवार, २९ मे, २०२२

वृक्षारोपण

                       वृक्षारोपण

 


        प्राचीन काल से ही वृक्ष मनुष्य के मित्र रहे हैं। वृक्षों से मनुष्य को बहुत कुछ मिलता रहा है। इसलिए वृक्षारोपण की बहुत महिमा बताई गई है। वृक्षों की अधिकता लोगों के सुख, सौभाग्य और समृद्धि की निशानी मानी जाती है। 

      हमारे देश में पिछले कई वर्षों से वृक्षों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। इसके कारण आज बड़े बड़े जंगल साफ हो गए हैं। वृक्षों की सघनता में बहुत कमी आ गई है। इसके कारण वर्षा की मात्रा कम हो गई है। 

       अब ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाने की कोशिश की जा रही है। वृक्षों को बच्चों के समान महत्त्व दिया गया है। नया वृक्ष लगाकर उसकी देखरेख करना किसी बच्चे को गोद लेकर उसका पालन-पोषण करने के बराबर माना गया है।

        वृक्षों के बढ़ने और फलने फूलने से निर्जन स्थान भी हरे भरे और सुंदर बन जाते हैं। वृक्षों की हरियाली मन को प्रसन्नता से भर देती है। वृक्षों की शीतल छाया गरमी की दोपहर में सुख शांति प्रदान करती है। वृक्ष के पत्ते फूल फल सब हमारे काम आते हैं। वृक्षों से हमें कागज दियासलाई गोंद, लाख, तरह तरह की दवाइयों तथा तेलों की प्राप्ति होती है। 

         भौगोलिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी वृक्षारोपण का विशेष महत्त्व है। वृक्षों से वायुमंडल शीतल व शुद्ध बनता है। वृक्षा के आकर्षण से ही बादल खिंचे चले आते हैं, जिससे बरसात होती है। खेत के चारों ओर पेड़ लगाने से खेत की मिट्टी की रक्षा होती है। नदी के किनारे लगाए गए पेड़ उसके किनारों के कटाव को रोकते हैं। सड़कों के किनारे पेड़ लगाने से सड़कों की शोभा बढ़ती है। इससे राहगीरों को शीतल छाया मिलती है। 

     वृक्षारोपण हमारा परम कर्तव्य है। वृक्ष लगाकर हम अपनी और समाज की सेवा करते हैं। वृक्षारोपण से प्राणी जीवन का स्वस्थ, सुंदर और सुखमय बनाया जा सकता है। वृक्ष हमारे जीवन की प्रथम आवश्यकता हैं। इसलिए प्रति वर्ष वृक्षारोपण को हमें एक महोत्सव के रूप में मनाकर प्रकृति का आशीर्वाद पाना चाहिए।

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