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पहिली ते दहावी संपूर्ण अभ्यास

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रविवार, २९ मे, २०२२

सागर तट की एक शाम

       सागर तट की एक शाम 



         सागर के किनारे बसे शहरों के अनेक लोग शाम के समय अकसर सागर तट पर घूमने निकल जाते हैं। खास कर गर्मियों के दिनों में तो शाम को सागर तट पर लोगों का मेला लगा रहता है। सागर की बलखाती लहरों और ठंडी हवा से लोगों को बहुत राहत मिलती है। 

        पिछले रविवार की शाम को मैं भी अपने मित्रों के साथ सागर तट पर घूमने गया था। एक ओर सागर हिलोरे ले रहा था तो दूसरी ओर जन सागर उमड़ पड़ा था। रंगबिरंगे कपड़ों में सजे बच्चे उछल-कूद रहे थे। सजी-धजी छोटी-छोटी बालिकाएँ रंगीन तितलियों के समान लग रही थीं। युवक-युवतियों और बड़े-बूढ़ों की संख्या भी काफी थी। कुछ लोग सागर तट की रेत पर बैठकर गपशप कर रहे थे। कुछ लोग घूमने-फिरने में मस्त थे। कुछ लोग मोबाइल पर फिल्मी गानों का आनंद ले रहे थे। कितना सुहाना था सागर तट का वह वातावरण ! 

        कुछ दूरी पर युवकों का एक दल कबड्डी खेल रहा था। वहाँ बहुत सारे लोग देखने के लिए एकत्र हो गए थे। एक जगह एक जादूगर जादू के खेल दिखा रहा था। यहाँ बच्चे घेरा बनाकर खड़े हुए थे। वे बीच-बीच में तालियाँ बजा रहे थे। कुछ लोग एक मदारी के आसपास खड़े होकर बंदरिया का नाच देख रहे थे। बंदर मस्त होकर ढोल बजा रहा था। कुछ बच्चे गुब्बारेवाले से गुब्बारे खरीद रहे थे। कई बच्चे घुड़सवारी का मजा ले रहे थे। सागर तट पर एक जगह बहुत से स्टाल लगे हुए थे। वहाँ खूब रोशनी थी। वहाँ पर पानी-पूरी, भेल और आइसक्रीम के स्टालों पर ग्राहकों की भीड़ लगी हुई थी।

        धीरे-धीरे शाम ढलने लगी। उस समय की शोभा देखते ही बनती थी शीतल और मंद पवन के झोंके मन को प्रसन्न कर रहे थे। अस्त होते सूर्य की सुनहली किरणें सागर के जल पर मनोहर दृश्य अंकित कर रही थीं दूर समुद्र में सरकती हुई नौकाएँ बहुत सुंदर लग रही थीं। आकाश में पक्षियों का झुंड उड़ता हुआ जा रहा था। 

         इस प्रकार सागर तट की भव्य शोभा ने हमारा मन मोह लिया। सागर की लहरों की मस्ती और वातावरण की रौनक दिल में लिए हम अपने घर की ओर लौट पड़े।

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